Tuesday, February 19, 2019

अब तो पथ यही है - दुष्यन्त कुमार

जिंदगी ने कर लिया स्वीकार,
अब तो पथ यही है।

अब उभरते ज्वार का आवेग मद्धिम हो चला है,
एक हलका सा धुंधलका था कहीं, कम हो चला है,
यह शिला पिघले न पिघले, रास्ता नम हो चला है,
क्यों करूँ आकाश की मनुहार ,
अब तो पथ यही है ।

क्या भरोसा, कांच का घट है, किसी दिन फूट जाए,
एक मामूली कहानी है, अधूरी छूट जाए,
एक समझौता हुआ था रौशनी से, टूट जाए,
आज हर नक्षत्र है अनुदार,
अब तो पथ यही है।
यह लड़ाई, जो की अपने आप से मैंने लड़ी है,
यह घुटन, यह यातना, केवल किताबों में पढ़ी है,
यह पहाड़ी पाँव क्या चढ़ते, इरादों ने चढ़ी है,
कल दरीचे ही बनेंगे द्वार,
अब तो पथ यही है ।

साभार : कविताकोश
–  दुष्यन्त कुमार

Friday, July 29, 2016

...... दरिंदा !!

सभी साथियों को मेरा नमस्कार आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ प्रसिद्ध कवि भवानीप्रसाद मिश्र जी की रचना...... दरिंदा के के साथ उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी.......!!

दरिंदा
आदमी की आवाज़ में
बोला

स्वागत में मैंने
अपना दरवाज़ा
खोला

और दरवाज़ा
खोलते ही समझा
कि देर हो गई

मानवता
थोडी बहुत जितनी भी थी
ढेर हो गई !

- - भवानीप्रसाद मिश्र

Saturday, September 5, 2015

सपरिवार कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !!


पुस्‍तकायन ब्लॉग  की ओर से आप सभी ब्लोगर मित्रों को सपरिवार 
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ .....!!


Tuesday, February 17, 2015

महा शिवरात्रि की शुभकामनाएँ -- संजय भास्कर



पुस्‍तकायन ब्लॉग  की ओर से आप सभी ब्लोगर मित्रों को सपरिवार महा शिवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!

-- संजय भास्कर 

Thursday, January 1, 2015

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ .....!!


पुस्‍तकायन ब्लॉग की ओर से आप सभी ब्लोगर मित्रों को
आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!

-- संजय भास्कर 

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