Tuesday, October 29, 2019

भैयादूज की शुभकामनायें :)


पुस्‍तकायन..........ब्लाग की ओर से ब्लाग जगत के सभी साथियों को  भैयादूज की शुभकामनायें.....!!

- संजय भास्कर

Saturday, August 24, 2019

कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !!


पुस्‍तकायन ब्लॉग  की ओर से आप सभी ब्लोगर मित्रों को सपरिवार 
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ .....!!!

- संजय भास्कर 

Wednesday, May 8, 2019

मैंने छोड़ दिया है अब कविता लिखना - Onkar ओंकार

मैंने छोड़ दिया है अब 
कविता लिखना.

कविता लिखने का सामान -
काग़ज़, कलम,दवात -
दूर कर दिया है मैंने,
यहाँ तक कि कुर्सी-मेज़ भी 
हटा दी है अपने कमरे से.

मन में भावनाओं का 
ज्वार उमड़ रहा हो,
शब्द अपने-आप 
लयबद्ध होकर आ रहे हों,
तो भी नहीं लिखता मैं 
कोई कविता.

मैंने तय कर लिया है 
कि मैं तब तक नहीं लिखूंगा 
कोई नई कविता,
जब तक कि उसमें लौट न आए  
कोई आम आदमी...!

लेखक परिचय - ओंकार जी Onkar 

Tuesday, March 26, 2019

राक्षस देखना हो अपने अन्दर का - Onkar ओंकार :)

कभी अपने अन्दर का
राक्षस देखना हो,
तो उग्र भीड़ में
शामिल हो जाना.

जब भीड़ से निकलो,
तो सोचना
कि जिसने पत्थर फेंके थे,
आगजनी की थी,
तोड़-फोड़ की थी,
बेगुनाहों पर जुल्म किया था,
जिसमें न प्यार था, न ममता,
न इंसानियत थी, न करुणा,
जो बिना वज़ह
पागलों-सी हरकतें कर रहा था,
वह कौन था?

उसे जान लो,
अच्छी तरह पहचान लो,
देखो, तुम्हें पता ही नहीं था
कि वह तुम्हारे अन्दर ही
कहीं छिपा बैठा है...!!

लेखक परिचय - ओंकार जी Onkar 

Friday, March 15, 2019

प्यारी बिटिया - रीना मौर्या


बाबुल की सोन चिरैया 
अब बिदा हो चली
महकाएगी किसी और का आँगन
वो नाजुक सी कली
माँ की दुलारी
बिटिया वो प्यारी
आँसू लिए आँखों में
यादें लिए मन में
पिया घर चली
ओ भैय्या की बहना
ख्याल अपना रखना
मुरझा ना कभी जाना तू
ओ प्यारी सी कली
ले जा दुआएँ
और ढ़ेर सारा प्यार
बिटिया तेरे जीवन में आए
खुशियों की फुहार
पिया घर सजाना 
तू पत्नी धर्म निभाना
खुश रहना तू मेरी बिटिया
ना होना कभी उदास ...!!



Tuesday, March 12, 2019

उसकी थकान - भगवत रावत

कोई लंबी कहानी ही
बयान कर सके शायद
उसकी थकान
जो मुझसे
दो बच्चों की दूरी पर
न जाने कब से
क्या-क्या सिलते-सिलते
हाथों में
सुई धागा लिए हुए ही
सो गई है !

लेखक परिचय - भगवत रावत 
साभार- हिंदी समय 

Thursday, March 7, 2019

हथेलियाँ - रेखा चमोली

वो रोज उठकर
अपनी हथेलियाँ देखती
उन्हें आँखों से लगातीं
जब खुश होती तब भी
जब दुखी या परेशान होती तब भी
मैंने पूछा, ऐसा क्यों करती हैं?
बोलीं, ''हथेलियों पर उसकी सूरत नजर आती है''।
मैने कहा, ''उसकी सूरत से यह दुनिया नहीं चलती''।
वे बोलीं, ''उसकी सूरत के बिना भी तो नहीं चलती ''।

लेखक परिचय - रेखा चमोली 
साभार- हिंदी समय 

Tuesday, February 19, 2019

अब तो पथ यही है - दुष्यन्त कुमार

जिंदगी ने कर लिया स्वीकार,
अब तो पथ यही है।

अब उभरते ज्वार का आवेग मद्धिम हो चला है,
एक हलका सा धुंधलका था कहीं, कम हो चला है,
यह शिला पिघले न पिघले, रास्ता नम हो चला है,
क्यों करूँ आकाश की मनुहार ,
अब तो पथ यही है ।

क्या भरोसा, कांच का घट है, किसी दिन फूट जाए,
एक मामूली कहानी है, अधूरी छूट जाए,
एक समझौता हुआ था रौशनी से, टूट जाए,
आज हर नक्षत्र है अनुदार,
अब तो पथ यही है।
यह लड़ाई, जो की अपने आप से मैंने लड़ी है,
यह घुटन, यह यातना, केवल किताबों में पढ़ी है,
यह पहाड़ी पाँव क्या चढ़ते, इरादों ने चढ़ी है,
कल दरीचे ही बनेंगे द्वार,
अब तो पथ यही है ।

साभार : कविताकोश
–  दुष्यन्त कुमार

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