बाबुल की सोन चिरैया
अब बिदा हो चली
महकाएगी किसी और का आँगन
वो नाजुक सी कली
माँ की दुलारी
बिटिया वो प्यारी
आँसू लिए आँखों में
यादें लिए मन में
पिया घर चली
ओ भैय्या की बहना
ख्याल अपना रखना
मुरझा ना कभी जाना तू
ओ प्यारी सी कली
ले जा दुआएँ
और ढ़ेर सारा प्यार
बिटिया तेरे जीवन में आए
खुशियों की फुहार
पिया घर सजाना
तू पत्नी धर्म निभाना
खुश रहना तू मेरी बिटिया
ना होना कभी उदास ...!!
सुन्दर रचना।
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 15/03/2019 की बुलेटिन, " गैरजिम्मेदार लोग और होली - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteपिया की प्यारी भोली भाली रे दुल्हनिया ,सच बेटियों को विदा करना आसान नहीं ,बहुत सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर कोमल सुकुमार रचना ।
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