Wednesday, May 8, 2019

मैंने छोड़ दिया है अब कविता लिखना - Onkar ओंकार

मैंने छोड़ दिया है अब 
कविता लिखना.

कविता लिखने का सामान -
काग़ज़, कलम,दवात -
दूर कर दिया है मैंने,
यहाँ तक कि कुर्सी-मेज़ भी 
हटा दी है अपने कमरे से.

मन में भावनाओं का 
ज्वार उमड़ रहा हो,
शब्द अपने-आप 
लयबद्ध होकर आ रहे हों,
तो भी नहीं लिखता मैं 
कोई कविता.

मैंने तय कर लिया है 
कि मैं तब तक नहीं लिखूंगा 
कोई नई कविता,
जब तक कि उसमें लौट न आए  
कोई आम आदमी...!

लेखक परिचय - ओंकार जी Onkar 

2 comments:

  1. मेरी कविता को स्थान और सम्मान देने के लिए ह्रदय से आभार.

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  2. अच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं

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