मैंने छोड़ दिया है अब
कविता लिखना.
कविता लिखने का सामान -
काग़ज़, कलम,दवात -
दूर कर दिया है मैंने,
यहाँ तक कि कुर्सी-मेज़ भी
हटा दी है अपने कमरे से.
मन में भावनाओं का
ज्वार उमड़ रहा हो,
शब्द अपने-आप
लयबद्ध होकर आ रहे हों,
तो भी नहीं लिखता मैं
कोई कविता.
मैंने तय कर लिया है
कि मैं तब तक नहीं लिखूंगा
कोई नई कविता,
जब तक कि उसमें लौट न आए
कोई आम आदमी...!
लेखक परिचय - ओंकार जी Onkar
कविता लिखना.
कविता लिखने का सामान -
काग़ज़, कलम,दवात -
दूर कर दिया है मैंने,
यहाँ तक कि कुर्सी-मेज़ भी
हटा दी है अपने कमरे से.
मन में भावनाओं का
ज्वार उमड़ रहा हो,
शब्द अपने-आप
लयबद्ध होकर आ रहे हों,
तो भी नहीं लिखता मैं
कोई कविता.
मैंने तय कर लिया है
कि मैं तब तक नहीं लिखूंगा
कोई नई कविता,
जब तक कि उसमें लौट न आए
कोई आम आदमी...!
लेखक परिचय - ओंकार जी Onkar
मेरी कविता को स्थान और सम्मान देने के लिए ह्रदय से आभार.
ReplyDeleteअच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं
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