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Sunday, September 26, 2010

अन्धेर नगरी

अन्धेर नगरी

पुस्तकें पढना मेरी हॉबी है। इसलिए जब ‘पुस्तकायन’ ब्लॉग पर नज़र पड़ी तो झट से इसका सदस्य बन गया। कई बार ऐसा होता है कि आप जब कोई पुस्तक पढते हैं तो उसकी कई बातें लोगों से बांटने का मन करता है। आज (२६ सितंबर, २०१०) कोलकाता से दिल्ली की यात्रा के वक़्त पढ़ने के लिए साथ में एक ऐसी पुस्तक थी जिसकी कई बातें बांटने का मन अनायास बन गया। यह पुस्तक थी “अन्धेर नगरी” एक लोककथा तो आपने सुनी ही होगी। ‘अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा’। प्रस्तुत पुस्तक इसी लोककथा पर आधारित है।

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