जॉन होल्ट की अंग्रेजी पुस्तक ‘Escape from Childhood’ के हिन्दी अनुवाद ‘बचपन से पलायन’ पर राजेश उत्साही द्वारा एक चर्चा
(इस किताब की पीडीएफ फाइल यहां उपलब्ध है)
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न्यू यार्क में जन्में जॉन होल्ट द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी नौसेना में रहे। बाद में वे विश्व सरकार आंदोलन से जुड़े और अन्तत: संयुक्त विश्व संघवादियों की न्यू यार्क राज्य शाखा के कार्यकारी निदेशक बने। उन्होंने कॉलेरडो और मैसाच्युसेट्स के विभिन्न स्कूलों में पढ़ाया। वे हार्वर्ड ग्रेज्युएट स्कूल आफ एज्यूकेशन और कैलिफोर्निया यूनिवर्स्टी बर्कलें में विजिटिंग लेक्चरर भी रहे। वे होम स्कूलिंग मूवमेंट के अग्रणी प्रवक्ता थे और तमाम वैधानिक संस्थानों के समक्ष इस बाबत ठोस साक्ष्य भी प्रस्तुत करते रहे। अपने बच्चों को घर पर ही शिक्षा दे रहे अभिभावकों के लिए ग्रोइंग विदाउट स्कूलिंग नामक एक पत्रिका निकालते थे। उन्होंने शिक्षा संबंधी कई पुस्तकें लिखीं। **
घटना पैंतीस साल पुरानी है। पिताजी रेल्वे में थे। हम रेल्वे क्वार्टर में रहते थे। क्वार्टर रेल के डिब्बे की तरह ही बना था। गिने-चुने तीन कमरे थे। परिवार में माँ-पिताजी,दादी और हम सात भाई-बहन थे। पहला कमरा दिन में बैठक के रूप में इस्तेमाल होता था। उसी में एक टेबिल थी, जिस पर मैं पढ़ा करता था। बाकी भाई-बहन यहां-वहां बैठकर पढ़ लेते थे। यही कमरा रात को सोने के लिए इस्तेमाल होता था। चूंकि मैं घर में सबसे बड़ा था, इसलिए बैठक को सजाने और उसकी देख-रेख की जिम्मेदारी या दूसरे शब्दों में उस पर मेरा ही अधिकार था।