कभी अल्हड़, अलल-बछेरा,
कुलेलें करने वाला,
नाकंद घोड़े के बच्चे जैसा,
जिसे ना कोई क़रार ,
फक्त कर्राह,
खिलंदड़ एवं बेपरवाह
कभी डरा सहमा
घबराये गाय जैसा
जिसे अपना बछरू
बहुत समय से
न दिखता हो न आहट हो
आशंका और आकुलता में
व्याकुल आंखें उसकी
कभी लार टपकाते
श्वान के सदृश
इधर उधर सिर हिलाते
मतलब बेमतलब तलवे चाटते
स्वामिभक्ति का प्रदर्शन करते
इशारे पर
बेवजह भौंकते गुर्राते
bhut hi badiya post likhi hai aapne. Ankit Badigar Ki Traf se Dhanyvad.
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