बीसवीं शताब्दी में अनेक महापुरुष, जिन्होने अपने विचारों व सात्विक आचरण से सम्पूर्ण विश्व जनमानस के अंतर्मन को विशेष रूप से प्रभावित किया है, उनमें दलाई लामा का नाम निश्चय ही शीर्ष पर आता है । उनके भाषण व प्रवचन के मेघ से मानो प्रेम, वात्सल्य, दया व करुणा की शीतल वृष्टि सी होती है ।वे सदैव अपने संभाषण में वैश्विक स्तर पर मानव जाति की अंतर् निर्भरता, आयुध व्यवसाय के होड़ व इससे उत्पन्न हो रहे ख़तरों, पर्यावरण-विनाश व इसके ख़तरों, एवं बढ़ती असहिष्णुता के प्रति अपनी चिंता व संवेदना से जनमानस को अवगत कराते रहे हैं ।
दलाई लामा का व्यक्तित्व नितांत सरल व सहज है । वे सदैव अपने को अंतर्मन से एक साधारण बौद्ध भिक्षु ही मानते हैं। वे एक बाल-सुलभ प्रेम व सौहार्द्य से बोलते है, और श्रोताओं को अपनी सादगी, विनोद-भाव और गरम-जोशी से सम्मोहित व वशीभूत सा कर लेते हैं। उनकी सभी बातों व विचारों में प्रेम, क्षमा व करुणा का ही संदेश रहता है ।
The Power of Compassion, दलाई लामा के वर्ष 1993 में लंदन प्रवास के दौरान दिये गये प्रवचनों का संक्षिप्त संकलन है । इस पुस्तक के प्रकाशक Thorsons हैं । भाषणों की मूल भाषा अंग्रेजी है , और दलाई लामा के आधिकारिक अनुवादक श्री गेशे थुम्परन जिन्मा ने इसे अनुवादित व संकलित किया है ।
इस पुस्तक के सात अध्याय हैं-
· अध्याय 1: Contentment, Joy and living well ( संतोष, प्रसन्नता व सुजीवन)
· अध्याय 2: Facing death and dying well ( मृत्यु से साक्षात्कार व सहज मृत्यु)
· अध्याय 3: Dealing with Anger and Emotions( क्रोध व भावनाओं के साथ समाचरण)
· अध्याय 4: Giving and receiving: A practical way of directing love and compassion ( आगे दें, पीछे पावें : प्रेम और करुणा निर्देशन का एक व्यावहारिक रास्ता)
· अध्याय 5: Interdependence,Interconnectedness and nature of reality(अन्योन्याश्रय , अंतर्सम्बन्ध और और वास्तविकता की प्रकृति)
· अध्याय 6: The challenge of humanity: An interfaith address (मानवता की चुनौतियाँ – अंतर्विश्वास की पहल)
· अध्याय 7: Question and Answer ( प्रश्नोत्तर)
पुस्तक का हर अध्याय अनमोल व अद्भुत है । किन्तु अंतिम दो अध्याय तो पुस्तक के मूल-तत्व हैं। मानवता की वर्तमान चुनौतियों व इनके परिदृश्य में आवश्यक हमारे अंतर्विश्वास की पहल की बड़े ही संजीदगी से इनमें व्याख्या की गयी है । दलाई लामा के ही शब्दों में : ‘ आधुनिक युग में भौतिकता के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है , जिसके फलस्वरूप मानव के भौतिक जीवन में निश्चय ही उल्लेखनीय सुधार हुआ है ।किन्तु, साथ ही साथ हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मात्र भौतिकता के ही प्रगति से ही मानवता के सभी सपने पूरे नहीं होते । साथ ही, भौतिकता के निरंतर विकास के साथ ही बहुधा अनेक जटिलता भी उत्पन्न हो रही हैं । इस कारण , मेरे विचार से सभी धार्मिक मतों का आज भी विश्व-मानवता के कल्याण व संतुलित प्रगति में विशेष भूमिका व पहल की निःसंदेह गुंजाइश व क्षमता है, एवं वर्तमान भौतिकता वादी युग में भी हमारे सभी ही धर्मों का मानवता के कल्याण व विकाश में महत्त्वपूर्ण प्रयोजन है ।’
अगर मेरा मत इस पुस्तक के बारे में पूछें तो मेरी अब तक पढ़ी पुस्तकों में उत्कृष्ट है । इस पुस्तक को पढ़कर मन व हृदय दोनों को शान्ति मिलती है ।
आपकी इस प्रस्तावना को पढ़ हमें भी मानसिक शान्ति मिली, सरलता और सहजता मानव व्यक्तित्व के प्रखर-बिन्दु हैं।
ReplyDeleteकिताब का शीर्षक प्रभावित करता है। आपके दिए गए विवरण से मालूम पडता है कि पुस्तक दलाई लामा के व्यक्तित्व के अनुरूप ही होगी।
ReplyDeleteकरुणा एक ऐसा शब्द है जो सबको जगह देता है। करुणा अंतिम है ...वह प्रेम से भी गहरी है ... करुणा बुद्ध का हृदय है ... करुणा ही इंसानियत को जिंदा रखती है।
पुस्तक अवश्य ही मानव मन के अनेक रहस्यों से रुबरु कराती होगी।
जी, यह पुस्तक व्यक्तिगत स्तर पर जहाँ सुखी व प्रसन्नता पूर्ण जीवन जीने का कला का रहस्य उजागर करती है, वहीं सम्पूर्ण मानवता व विश्व कल्याण हेतु पथ-प्रदर्शक है।
ReplyDeleteदलाई लामा जी का जीवन मानव कल्याण और विश्व शांति के लिए समर्पित रहा है | उनकी पुस्तक अवश्य पठनीय है |
ReplyDeletesundar samiksha
ReplyDeleteek manav upyogi aalekh ...
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