Saturday, April 30, 2011

लोहे के मर्द


पुरुष वीर बलवान,
देश की शान,
हमारे नौजवान
घायल होकर आये हैं।
कहते हैं, ये पुष्प, दीप,
अक्षत क्यों लाये हो?
हमें कामना नहीं सुयश-विस्तार की,
फूलों के हारों की, जय-जयकार की।
तड़प रही घायल स्वदेश की शान है।
सीमा पर संकट में हिन्दुस्तान है।
ले जाओ आरती, पुष्प, पल्लव हरे,
ले जाओ ये थाल मोदकों ले भरे।
तिलक चढ़ा मत और हृदय में हूक दो,
दे सकते हो तो गोली-बन्दूक दो।
....राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी 
प्रकाशित :१९६3
संग्रह:परशुराम की प्रतीक्षा 



15 comments:

  1. बदिया प्रस्तुति.

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  2. पढवाने के लिए ह्रदय से आभार...

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  3. इतनी सुन्दर और प्रेरक रचना पढवाने के लिये आभार..

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  4. दिनकर जी की वीर रस प्रवाहित करती रचना.....आजकल ऐसा कहा लिखा जाता है....
    पुस्तकायन का ये प्रयास और विचार सराहनीय है ....

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  5. shukriyaa aapkaa ham to "Urvashi "aur "kurukshetr "tak hi seemit the
    shukriyaa !
    veerubhai .

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  6. अति सुन्दर कविता के लिए धन्यवाद...

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  7. mahfuj bhai ji
    bahut dino baad aap mere blog par aaye par sach bahut hi khushi hui.
    idhar main bhi gat decemmber se aswasth hi chal rahi hun
    ab dheere net par aana shuru kiya hai par jyada der nahi baith sakti isi liye jo comments aate hain unko hi pahle unki post ko padh kar tippni dena jaruri samjhti hun .
    post to main kisi se bhi dalva deti hun par jwab main khud hi deti hun isi liye comments dene me vilanb ho jaata hai .is deri ke liye aapse bahut bahut xhma chati hun.
    kavivar ramdhari sinh ji ki kaviya to bahut hi achhi lagi shayad yah kavita maine padhi bhi nahi thi .
    aapko bahut bahut hardik dhanyvaad jo aapke dwara yah desh -bhakti se paripurn kavita padhne ko mili
    hardik badhai aur aaj mothers day par bhi aapko punah shubh kamnaaye
    poonam

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  8. जी लोग भूलते जा रहे हैं रामधारी सिंह दिनकर और सुमित्रा नंदन पंत, महादेवी वर्मा को.. बहुत शुक्रिया.

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  9. आज बहुत पुराणी रचना पढ़बा कर आपने एक बहुत ही अच्छा कार्य किया है नहीं तो हम जैसे लोग तो यह सब पढ़ ही नहीं पाते |बहुत बहुत आभार
    आशा

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  10. पुस्तकायन के माध्यम से महान कवियों की उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ना सुखद है |

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  11. Sanjai ji,aap dwara mahan rachnao ki yah punar prastuti sarahneeya hai/meri hardik shubhkamnaye leejiye/aapbadhiya kaam kar rahe hai/Dinkar ji to swayam pratimaan hai hi /
    swagat aur dhanyavad aapka /sasneh
    dr.bhoopendra
    rewa
    mp

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  12. i have read this in school
    one of the finest work !!

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  13. प्रि‍य मि‍त्र,

    कृपया पुस्‍तकायन में रचनाओं को कॉपी पेस्‍ट न करें। यदि‍ आपने कोई पुस्‍तक पढी है तो उसके बारे में लि‍खें।

    आप हमारे वरि‍ष्‍ठ सदस्‍यों की पूर्व प्रकाशि‍त पोस्‍टों से इस बात को समझ सकते हैं। साइड बार में इस बारे में स्पष्‍ट लि‍खा हुआ है।

    धन्‍यवाद।

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