पुरुष वीर बलवान,
देश की शान,
हमारे नौजवान
घायल होकर आये हैं।
देश की शान,
हमारे नौजवान
घायल होकर आये हैं।
कहते हैं, ये पुष्प, दीप,
अक्षत क्यों लाये हो?
अक्षत क्यों लाये हो?
हमें कामना नहीं सुयश-विस्तार की,
फूलों के हारों की, जय-जयकार की।
फूलों के हारों की, जय-जयकार की।
तड़प रही घायल स्वदेश की शान है।
सीमा पर संकट में हिन्दुस्तान है।
सीमा पर संकट में हिन्दुस्तान है।
ले जाओ आरती, पुष्प, पल्लव हरे,
ले जाओ ये थाल मोदकों ले भरे।
ले जाओ ये थाल मोदकों ले भरे।
तिलक चढ़ा मत और हृदय में हूक दो,
दे सकते हो तो गोली-बन्दूक दो।
दे सकते हो तो गोली-बन्दूक दो।
....राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी
प्रकाशित :१९६3
संग्रह:परशुराम की प्रतीक्षा
बदिया प्रस्तुति.
ReplyDeleteआभार प्रस्तुति का।
ReplyDeleteपढवाने के लिए ह्रदय से आभार...
ReplyDeleteइतनी सुन्दर और प्रेरक रचना पढवाने के लिये आभार..
ReplyDeleteदिनकर जी की वीर रस प्रवाहित करती रचना.....आजकल ऐसा कहा लिखा जाता है....
ReplyDeleteपुस्तकायन का ये प्रयास और विचार सराहनीय है ....
shukriyaa aapkaa ham to "Urvashi "aur "kurukshetr "tak hi seemit the
ReplyDeleteshukriyaa !
veerubhai .
अति सुन्दर कविता के लिए धन्यवाद...
ReplyDeletemahfuj bhai ji
ReplyDeletebahut dino baad aap mere blog par aaye par sach bahut hi khushi hui.
idhar main bhi gat decemmber se aswasth hi chal rahi hun
ab dheere net par aana shuru kiya hai par jyada der nahi baith sakti isi liye jo comments aate hain unko hi pahle unki post ko padh kar tippni dena jaruri samjhti hun .
post to main kisi se bhi dalva deti hun par jwab main khud hi deti hun isi liye comments dene me vilanb ho jaata hai .is deri ke liye aapse bahut bahut xhma chati hun.
kavivar ramdhari sinh ji ki kaviya to bahut hi achhi lagi shayad yah kavita maine padhi bhi nahi thi .
aapko bahut bahut hardik dhanyvaad jo aapke dwara yah desh -bhakti se paripurn kavita padhne ko mili
hardik badhai aur aaj mothers day par bhi aapko punah shubh kamnaaye
poonam
जी लोग भूलते जा रहे हैं रामधारी सिंह दिनकर और सुमित्रा नंदन पंत, महादेवी वर्मा को.. बहुत शुक्रिया.
ReplyDeleteआज बहुत पुराणी रचना पढ़बा कर आपने एक बहुत ही अच्छा कार्य किया है नहीं तो हम जैसे लोग तो यह सब पढ़ ही नहीं पाते |बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteआशा
पुस्तकायन के माध्यम से महान कवियों की उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ना सुखद है |
ReplyDeleteSanjai ji,aap dwara mahan rachnao ki yah punar prastuti sarahneeya hai/meri hardik shubhkamnaye leejiye/aapbadhiya kaam kar rahe hai/Dinkar ji to swayam pratimaan hai hi /
ReplyDeleteswagat aur dhanyavad aapka /sasneh
dr.bhoopendra
rewa
mp
i have read this in school
ReplyDeleteone of the finest work !!
khun kholne laga hai
ReplyDeleteप्रिय मित्र,
ReplyDeleteकृपया पुस्तकायन में रचनाओं को कॉपी पेस्ट न करें। यदि आपने कोई पुस्तक पढी है तो उसके बारे में लिखें।
आप हमारे वरिष्ठ सदस्यों की पूर्व प्रकाशित पोस्टों से इस बात को समझ सकते हैं। साइड बार में इस बारे में स्पष्ट लिखा हुआ है।
धन्यवाद।